


दुनिया में भगवान के अस्तित्व को लेकर दो मूलतः प्रकार की सोच रखने वाले लोग हैं - आस्तिक और नास्तिक। आस्तिक लोग भगवान के अस्तित्व में विश्वास रखते हैं, जबकि नास्तिक लोग इसके विपरीत हैं। नास्तिक लोगों का तर्क होता है कि भगवान के अस्तित्व को प्रमाण के साथ साबित किया जाए। इसी बीच, हार्वर्ड के खगोल भौतिक वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर डॉ. विली सून ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने दावा किया है कि एक गणितीय सूत्र भगवान के अस्तित्व का अंतिम प्रमाण हो सकता है।
फाइन ट्यूनिंग आर्गुमेंट: भगवान के अस्तित्व का गणितीय प्रमाण
डॉ. सून के सिद्धांत का केंद्र 'फाइन ट्यूनिंग आर्गुमेंट' है। यह सिद्धांत सुझाव देता है कि ब्रह्मांड के भौतिक नियम इतने सटीक रूप से जीवन का समर्थन करने के लिए कैलिब्रेट किए गए हैं कि यह संयोग से नहीं हो सकता। गणित के जरिए समझ सकते हैं ब्रह्मांड के नियम। पॉल डिराक ने सबसे पहले यह सूत्र पेश किया था। सूत्र ये दर्शाता है कि ब्रह्मांडीय स्थिरांक अद्भुत सटीकता के साथ मेल खाते हैं। गणितीय सिद्धांत के जरिए ब्रह्मांड के भौतिक नियमों के संतुलन को समझा जा सकता है।
गणित और ब्रह्मांड के बीच की सामंजस्य
डॉ. सून ने पॉडकास्ट में डिराक के सिद्धांत का हवाला दिया और भगवान के अस्तित्व के बारे में समझाया। डॉ. सून ने दावा किया कि गणित और ब्रह्मांड के बीच की सामंजस्य है। उन्होंने अपनी किताब में इस बात का भी जिक्र किया है कि किस तरह ब्रह्मांड का निर्माण में गणित का उपयोग किया गया। यह सिद्धांत भगवान के अस्तित्व के बारे में एक नए दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है।